THE WORST ANIMAL(HUMAN)-6
खाना खाकर मौली अपने कमरे में आती है और बुक खोलकर पढ़ने बैठती है कुछ देर बाद उसके पास सलोनी का फोन आता है वह भी अपने घर में बैठ कर पढ़ रही होती है । उसे कुछ चीज समझ में नहीं आ रही होती इसलिए वह मौली को फोन करती है। और दोनों ही डिस्कशन करते हुए एक दूसरे को समझा रहे थे और साथ में पढ़ भी रहे थे।
एक तरफ मौली के कमरे के बाहर उसके पापा अपनी बेटी को लगन से पढ़ते हुए देख रहे थे। वह खुश हो रहे थे की उनकी बेटी इतनी मेहनती है। वही दूसरी तरफ सलोनी के पापा उसके कमरे के बाहर से गुजर रहे थे उन्होंने सुना कि उनकी बेटी किसी से फोन पर बातें कर रही है । उनको उस पर शक हुआ इसलिए वह कमरे के दरवाजे पर आकर कान लगाकर सुनने लगे फिर जब उन्होंने सुना कि उनकी बेटी अपनी फ्रेंड से बातें कर रही हैं उनको शर्म आने लगी की उन्होंने अपनी बेटी ही पर शक किया।
तभी पीछे से किसी की आवाज आई आप इस वक्त यहां क्या कर रहे हैं सलोनी के पापा ने पीछे मुड़कर देखा तो उनके पीछे उनकी पत्नी मतलब सलोनी की मां खड़ी थी जो सलोनी को दूध का गिलास देने जा रही थी। रात को सलोनी रोजाना दूध पीकर सोती है। सलोनी के पापा अपनी वाइफ को देखकर डर गए और ऐसा लग रहा था कि चोरी करते हुए पकड़ा गए हो कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे ।
कुछ देर चुप रहने के बाद वह बोले अभी वह पढ़ाई कर रही है तुम जाकर अपना काम खत्म कर लो तुम यह दूध का गिलास मुझे दो मैं दे दूंगा। तुम बाकी का काम खत्म कर लो। उन्होने सलोनी की मां के हाथ से दूध का गिलास लेकर वह कमरे में आ गए और वह किचन की तरफ चली गई।
कमरे का दरवाजा नॉक कर वो अंदर आए और दूध के गिलास टेबल पर रखकर सलोनी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले क्या पढ़ रहे हो बेटा । सलोनी बोली पापा मैथ पढ़ रही थी कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए मौली से पूछ रही थी उसकी मैथ अच्छी है। तो उसके पापा बोले अच्छा बताइए आपको कौन सा टॉपिक समझ में नहीं आ रहा हम समझते हैं ।
वह फिर वहां गए मौली ने उनकी आवाज सुनकर फोन कट कर दिया था क्योंकि सलोनी के पापा मौली को बिलकुल भी पसंद नही करते थे उनका मानना था की मौली एक बिगड़ी हुई लडकी है। न वह अपने घर वालो की सुनती है ना ढंक के कपड़े पहनती है। यह बात मौली भी जानती थी इसलिए वह उनके सामने कम ही आती थी, जब तक कोई जरूरी काम न हो वह सलोनी के घर पर भी नहीं आती थी।
वो वही सलोनी को समझाने लगे सोलंकी उनकी बात सुन रही थी और अपने सारे डाउट क्लियर कर रही ।
सलोनी के पापा बहुत ही कम उसके कमरे में आते थे मान कर चलो कि उन्होंने सलोनी से दूरी बना कर ही रखते थे हमेशा। ना उन्होंने कभी उसके पास बैठ कर उसे पढ़ाया ना अच्छे से कभी बात की। वह इंसान बहुत अच्छे है पर कुछ लोगों की वजह से उनका दिमाग भी उनके जैसा हो गया था । वह लोग जब भी घर पर आते हैं उनके दिमाग में कुछ ना कुछ बात बैठा कर चले जाते हैं इस वजह से वह सलोनी से दूर होते जा रहे थे।
सलोनी के दिमाग में तो यह बात बहुत पहले से थी कि उसके पापा उसके साथ वक्त नहीं बिताते हैं पर आज यह बात सलोनी के पापा भी जान गए थे। क्यों उन्होंने पिछले कुछ समय से अपनी बेटी से दूरी बना ली थी वह भी किसी और के कहने पर। वह लोग बस फालतू की बातें उनके दिमाग में भर कर चले जाते थे और यह उन बातों को सीरियसली ले लेते थे इसी वजह से उन्होंने उन्होंने अपनी बेटी पर इतनी पाबंदियां लगा रखी थी।
कुछ देर बात उसके पापा बोले अब बहुत हो गई पढ़ाई आपकी अब आप सो जाइए काफी लेट हो गया।
कुछ देर बाद सलोनी अपने पापा से कहती है पापा मैं आपको एक बार गले लगा सकती हूं क्या । सलोनी अपने पापा के गले लग कर रोने लगती है जब उसके पापा इसकी वजह पूछते हैं तब आप कुछ नहीं बताती बस जी भर के रोती रहती हो उसके पापा उसको चुप करवाते हैं और दूध पिला कर सुला देते हैं।
जब सो जाती है तब वह अपने कमरे में आते हैं काफी देर तक वह किसी सोच में गुम रहते हैं जब उनकी पत्नी कमरे में आती है तब वह देखती हैं उनको कि वह किसी सोच में डूबे हुए हैं तो वह जब उन्हें आवाज देती है तो एक बार तो सुनते नहीं जब पास आकर जोर आवाज देती है तो वह अपनी सोच से बाहर आते हैं और बोलते हैं क्या हुआ तो वह बोलती क्या हुआ आप क्या सोच रहे थे कोई परेशानी वाली बात है क्या। वह बोलते कुछ नहीं सोच रहा था इतना कह कर वह फिर सोने चले जाते।
अगले दिन सलोनी उठकर तैयार होती हैं और नीचे आकर नाश्ता करने बैठ जाती है सभी बातें करते हुए नाश्ता कर रहे होते हैं रोजाना से कुछ अलग माहौल था घर का आज। सलोनी के पापा जो रोजाना नाश्ते के वक्त शांत रहते हैं वह आज बातें कर रहे थे और मुस्कुराती रहे थे क्योंकि सलोनी के पापा हमेशा शांत रहते थे। सलोनी के घर में उसकी मम्मी पापा के साथ दादी भी रहती थी दादाजी की काफ़ी सालो पहले डेथ हो गई थी उसके बाद से ही सलोनी के पापा शांत हो गए उनके चेहरे पर मुस्कुराहट चली गई थी।
कुछ देर में सलोनी की स्कूल की बस आ गई उसके हॉर्न की आवाज सुनकर वह जल्दी से उठी और बैग लेकर अपने बस की तरफ जाने लगी तो पीछे से उसके पापा की आवाज आई बेटा अपना ख्याल रखना सलोनी ने रुक एक बार रुक कर अपने पापा को देखा फिर बाहर की तरफ चली गई। घर में भी सभी सलोनी के पापा का बदला हुआ रूप देख रहे थे वह लोग खुद भी हैरान थी कि इतने टाइम बाद उसके पापा वापस आ गए जो पहले हुआ करते थे।
सलोनी जाकर बस में बैठ गई और कुछ देर बाद गाड़ी मौली के घर के पास जाकर रुकी बस ने दो से तीन बार हॉर्न बजाया पर मौली नही आई इसलिए सलोनी बस के ड्राइवर को रुकने का कह कर बस से उतर कर उसके घर की तरफ गई। बस वाले को बोल कर गई कि उसे मैं लेकर आती हूं । सलोनी जब घर में पहुंची तो उसने देखा मौली आराम से बैठ कर नाश्ता कर रही थी कानों में एयरफोन लगे हुए थे जिसे उसे बस की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी।
उसने जाकर उसकी सिर पर एक हल्की चपट लगाई और उसे बैक पकड़ा के जल्दी से बाहर चलने का कहने लगी। मौली अपनी मम्मी को बाय बोलती हुई बाहर निकली उसके पापा ऑफिस के लिए निकल चुके थे आकर बस में बैठी तो बस वाला बोला बेटा जल्दी तैयार हुआ करो लेट हो जाते हैं। फिर वह लोग अपने स्कूल के लिए निकले।
बस से उतरकर सभी अपनी अपनी क्लास रूम में चले गए दोपहर के टाइम मौली का कुछ खाने का मन हुआ तो वह सलोनी को लेकर कैंटीन की तरफ गई । वह अंदर जा रही थी तभी किसी से टकरा गई लड़के के हाथ में कॉफी का कप था और मौली किसी से फोन पर बात कर रही थी तो उसे ध्यान ही नहीं रहा और वह पूरी कॉपी सामने वाले के शर्ट पर गिर गई।
लड़का कुछ बोलने वाला था पर वह मौली को देखकर शांत हो गया और गिरे हुए कब को उठाकर डस्टबिन में फेंका और वहां से निकल गया । मौली ने अपना फोन रखा तो सलोनी उससे बोली यार उससे सॉरी तो बोल देती तेरी वजह से उसकी शर्ट भी खराब हो गई और कॉपी भी गिर गई। मौली बोली किसे सॉरी बोलती है उसकी आत्मा को वह तो रुका भी नहीं गलती हो गई तो मैं सॉरी बोल देती लेकिन उसको रुकना तो चाहिए था।
मौली ने लड़के की तरफ ध्यान नहीं दिया और अंदर चली आई और अपने और सलोनी के लिए दोनों के लिए दोनों सेनविश ऑर्डर किया और दोनों बैठकर खाने लगी। उधर वह लड़का वॉशरूम गया और अपना शर्ट साफ करके अपने दोस्तों के पास गया तो उसके दोस्त बोले शर्ट को क्या हुआ गीली क्यों है। तो एक दोस्त बोला किसी ने इसके ऊपर कॉपी गिरा दी तो वह दोस्त बोला किसकी हिम्मत थी तेरे पर कॉपी गिराने की चल अभी उसको मजा चखाते है तो वही लड़का वापस बोला
वह लड़की थी।
अच्छा ऐसा है क्या हमारे शहजादे से कोई लड़की टकराई वापस बोला यह तो बहुत अच्छी बात है वरना यह तो हमेशा लड़कियों से दूर भागते रहते हैं । वैसे लडकी सॉरी बोली की नहीं। एक और लड़का बोला तुम्हे सॉरी की पड़ी है पहले तुम यह बताओ वह लड़की दिखने में कैसी थी तो वह लड़का बोला जिस पर कॉफी गिरी थी क्या यार तुम सभी मजे ले रहे हो मेरे।
मुझे यह सब पसंद नहीं है मुझे सिर्फ पढ़ना पसंद है और तुम मेरे मजे लेने बंद करो । तुम लोग मेरे मजे लेने बंद करो वह सॉरी बोलती भी कैसे मैं तो रुका ही नही वहा। उसके कुछ बोलने से पहले मैं वहां से चला आया था और गलती मेरी भी थी मेरा भी ध्यान नहीं था इसीलिए टकरा गए।
हफ्तेभर पहले नवरात्रि बीती। आखिर के दो दिन लड़कियों की भरदम पूजा हुई । जिमाया गया। पांव छूकर 21 रुपए थमाए गए, और आंखें मूंद-मूंदकर 21 पुश्तों के लिए कुबेर की कोठरी मांगी गई। देश जब इस जश्न में डूबा था, तभी पश्चिम बंगाल की एक बच्ची खून में डूबी हुई थी। 4 अप्रैल को किसी बर्थडे पार्टी के लिए निकली ये लड़की घर तो लौटी, लेकिन साबुत नहीं। घरवाले जब तक कुछ कर पाते, उसकी मौत हो गई। 14 साल की बच्ची का गैंगरेप हुआ था।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती हैं ये रेप था, या वो प्रेग्नेंट थी, या लव अफेयर था, किसी ने जांच की है? कैसे पता कि उसका रेप हुआ था? ये प्रेम-प्रसंग भी हो सकता है, जैसा मोहल्ले वाले कह रहे हैं। सीएम आगे पूछती हैं- लड़की की मौत 5 अप्रैल को हुई तो परिवार वाले उसी दिन पुलिस के पास क्यों नहीं गए? इंतजार क्यों किया?
सवाल वाकई बड़ा है। रोने-बिलखने या खून में सनी बिटिया को आखिरी विदाई देने की बजाए परिवार को पुलिस थाने जाना चाहिए था। किसी मशीन की तरह वहां सब डीटेल देनी चाहिए थी। बयान देते हुए अटकने पर पुलिस की लप्प झप्प झेलनी चाहिए थी। फिर घर लौटकर भात-माछ खाकर सो जाना चाहिए था। लाश का क्या है! वो भी चुपचाप एक कोने में लेटी रहेगी। कथित अफेयर के चलते बदलचन कहलाने का इंतजार करते हुए।
यौन हिंसा दुनिया का इकलौता ऐसा जुर्म है, जिसमें शिकारी से ज्यादा शर्मिंदगी शिकार झेलता है। झुंड में से खुद के चुने जाने की शर्मिंदगी।
लडकियो को घूरा जाता है । भद्दे इशारे मिलते है। जबरन छूने की कोशिश होती है। हर बार जबड़े भींचकर वह सोचती- मैं ही क्यों! जरूर मुझमें ही कोई खामी है। पर सच्चाई कुछ और थी जब उसने देखा की वह अकेली नहीं। चाहे जितनी आधुनिक, जितनी मजबूत दिखें, दुनियाभर की औरतें यौन-हिंसा झेलती हैं। फिर चाहे वो पहाड़ों की बादामी चेहरे और रेशमी बालों वाली लड़कियां हों, या फिर पूर्वोत्तर की गहरी काली आंखों वाली।
हमला हरेक ने झेला। सड़क पर, घर पर, स्कूल में, दफ्तर में। किसी ने लपककर हमलावर को नोंच दिया। कोई हार गई। तो बहुतेरी हमेशा चुप रहीं। कुछ ने बोलने की हिम्मत की तो पलटकर तमाचे की तरह सवाल मिले।
कुछ लोगो का मानना है रेपिस्ट ने आखिर तुम्हें ही क्यों चुना? कुछ तो तुमने किया होगा, जिसने उसे उकसाया होगा!
अगर वह छोटे कपड़े पहनेगी तो रेप होगा। लंबे कपड़े पहनेगी तो भी रेप होगा ज्यादा बोलेगी तो भी रेप होगा। चुप रहेगी तो सहमति मिलेगी। भरी सड़क पर गोद दी जाएगी। सूनी सड़क पर उठा ली जाएगी।
रेप न हुआ, चक्रवाती तूफान हो गया। लड़कियां बाहर निकलेंगी तो चपेट में आएंगी ही। तूफान के लिए सरकार वॉर्निंग देती है। पीड़ितों को रोटी-पानी मिलता है। कंधे पर थपथपाहट मिलती है। वहीं रेप पीड़िता के हिस्से शक ही आता है। 'रेप-शेप कुछ नहीं, दरअसल जलनखोर औरतें जान-बूझकर ऐसा कर रही हैं।
कहानी का अगला भाग बहुत जल्द मिलेगा आपको पढ़ने के लिए।
कमश:
।। जयसियाराम ।।
vishalramawat
Sandesh kumar 'Sarthak'
01-Mar-2023 10:28 AM
क्रमशः करें जी
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Gunjan Kamal
09-Feb-2023 08:10 PM
शानदार भाग
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सृष्टि सुमन
09-Feb-2023 07:50 PM
Very nice
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